श्री श्री बरम बाबा का मंदिर
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दिव्य-अर्पण

भगवान् का भोग, दरिद्रनारायण भोज, सिन्दूर शृंगार, साधुसेवा, अखण्ड-ज्योति, ध्वजारोहण, पुष्प शृंगार

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पूजा-अर्चना

रुद्राभिषेक, सत्यनारायण कथा, हनुमत्-पूजन, रामार्चा-पूजन, बृहद्-मनोकामना यज्ञ, जन्म-मंगलानुष्ठान, ग्रहशान्ति हवन, रोगशान्ति हवन, मुण्डन

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जप एवं पाठ

महामृत्युंजय जप, अन्य ग्रहमन्त्र जप, सन्तान-गोपाल-मंत्र जप, सुन्दरकाण्ड रामचरितमानस/वाल्मीकि-रामायण, श्रीदुर्गासप्तशती

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वाहन-पूज

वाहन-पूजा - साइकिल, रिक्शा, दो चक्का, मोटर साइकिल, तीन चक्का एवं उससे अधिक, हस्तरेखाी, सुन्दरकाण्ड रामचरितमानस/वाल्मीकि-रामायण

इतिहास और मेले का महत्व

श्री श्री बरमबाबा मंदिर दक्षिण असम के एक ऐतिहासिक तीर्थस्थल है। यह मंदिर दक्षिण असम अंतर्गत कछार जिले के शिलकुड़ी चाय बागान में स्थित है। कहा जाता है कि एक दैविक, तेजस्वी, पराक्रमी और चमत्कारी ब्राह्मण शिशु के समाधी स्थल पर यह मंदिर की स्थापना की गई है । जानकारों के अनुसार वह ब्राह्मण शिशु लंगटूराम नाम से जाने जाते थें, क्यों कि वह ब्राह्मण पुत्र अत्यंत कम उम्र के थें और हमेशा लंगोट पहने रहते थे इसलिए परिवार वाले तथा आसपास के लोग उन्हें लंगटूराम नाम से ही बुलाया करते थे । अब आइए जान लेते हैं कि मंदिर का नाम बरमबाबा कैसे पड़ा ? Read more